Sunday, February 2, 2014

नामदेव ढसाल की कविता

नामदेव ढसाल की कविता का अनुवाद 


रोशनी और अँधेरे के दरम्यान 
प्रेम और दुःख के बीच 
वेदना के बाद की जगह दे दी कविता को 
मैने ऐसा साक्षात 
खुद को ही बो दिया खेत में 
और मेड़ पर खड़े होकर 
इंतजार करता रहा 
खुद के उगने का 
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मूल कवितांश ....

प्रकाश आणि काळोखाच्या दरम्यान

प्रेम आणि दुःखाच्या दरम्यान

मी वेदनेनंतरची जागा कवितेला दिली

मी असे साक्षात

स्वतःला पेरून टाकले जमिनीत

आणि बांधावर उभे राहून

वाट बघत राहिलो

स्वतःच्या उगवण्याची

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